Sunday, 13 November 2011

ये हैं शेर-ए-पंजाब, फिर भी इन्हें भूल गई सरकार



 
संगरूर/जालंधर। लगता है पंजाब सरकार शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह को भूल गई है। आज 13 नवंबर को उनका जन्म दिवस है लेकिन इसे अनदेखा कर दिया गया। महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नबंवर 1776 को जिले के गांव बडरूखां में हुआ था। विडंबना यह है कि गांव बडरूखां में महाराजा की यादें खंडहर हो गई हैं और गांव के लिए समय-समय पर की गई सरकारी घोषणाएं भी आज तक पूरी नहीं हुई।


जन्म स्थल के लिए सिर्फ घोषणाएं, यादगार भी खंडहर


गांव बडरूखां के किले का बुर्ज खंडहर बन चुका है लेकिन सरकार ने इसकी संभाल की जरूरत नहीं समझी। बताया जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह का जन्म यहीं हुआ था। 22 जुलाई 1968 को उस समय के मुख्यमंत्री लछमण सिंह गिल ने गांव बडरूखां में शेर-ए-पंजाब अजायब घर का नींव पत्थर रखा था परंतु 42 वर्ष बीत जाने के बावजूद अजायब घर नहीं बना। 1997 में मुख्यमंत्री बादल ने महाराजा को समर्पित एक विशाल पार्क बनाने और इसमें उनकी कांस्य प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की थी। यही नहीं महाराजा की याद में मेडिकल कॉलेज बनाने का भी ऐलान किया था लेकिन कुछ नहीं हुआ।

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