नेताओं के पांव चुनाव के समय एकाएक मुड़ जाते हैं डेरों की ओर
चुनावी माहौल बनने लगा है लेकिन फिलहाल डेरों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है कि इस बार किसका क्या रुख रहेने वाला है। वैसे कैप्टन अमरिंदर सिंह हाल ही में डेरा सच्चा सौदा का चक्कर लगा आए हैं। ये डेरों का ही जलवा था कि पिछले विधानसभा चुनाव में मालवा अकालियों से छिन गया था। मालवा हमेशा ही अकालियों का गढ़ रहा है लेकिन एक डेरे के समर्थन के चलते मालवा कांग्रेस के हाथ आ गया था। बठिंडा,मोगा और फरीदकोट जैसे जिलों में तो अकाली दल को एक भी सीट नहीं आ सकी जबकि संगरूर और मानसा जिलों में मात्र एक एक सीट पर सीमित रहना पड़ा। उस चुनाव में डेरा सच्च सौदा कांग्रेस के समर्थन में खुल कर आ गया था।
कुछ उदाहरणों को लें तो यह डेरे का ही प्रभाव रहा कि लहरा गागा पर अकाली दल के प्रो.प्रेम सिंह चंदूमाजरा जो काफी आगे दिखाई दे रहे थे, हार गए। ऐन मौके पर डेरे का समर्थन कांग्रेस की बीबी भट्ठल को मिलने से वह मात्र 248 मतों के मामूली अंतर से हारे।
डेरा सच्च सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के निकटवर्ती रिश्तेदार हरमिंदर जस्सी अपनी सीट तलवंडी साबो छोड़कर बठिंडा से खड़े हुए। बठिंडा मंे डेरा समर्थक खुलकर उनके हक में खड़े हो गए और हिंदू बाहुल मानी जाने वाली इसी सीट से 14654 मतों के भारी अंतर से हराया। इसी प्रकार लुधियाना नार्थ से भाजपा के हरीश बेदी ने 4896 मतों के अंतर से राकेश पांडे को हराया जबकि यह सीट कांग्रेस की पक्की सीट मानी जाती थी। बेदी आशुतोष महाराज के भक्त बताए जाते हैं।
दिव्य ज्योति संस्थान नूरमहल
संस्थापक - बाबा आशुतोष ,1984
प्रभाव -मालवा और दोआबा का क्षेत्र
दोआबा में दिव्य ज्योति संस्थान का काफी प्रभाव है। 90 के दशक में गुरुबाणी का अपने हिसाब से व्याख्या करने से यह संस्थान चर्चा में आ गया। लिहाजा कई स्थानों पर डेरा अनुयायियों और सिख संगठनों के बीच खूनी संघर्ष हो चुका है। संस्थान अब हिंदू संस्कृति की बातें ज्यादा करने लगा है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के एक बार संस्थान प्रमुख के पास जाने से विवाद पैदा हो गया और अब तक सिख संगठन इन तस्वीरों का चुनाव दौरान बादल के खिलाफ उपयोग करते हैं।
डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास
इस डेरे का फिलहाल कोई विवाद नहीं है। डेरे की पहुंच पूरे पंजाब में ही नहीं बल्कि आस पास के राज्यों में भी है। विदेशों में भी। डेरे के अनुयायी हिंदू और सिख दोनों ही है। इसके अलावा कई ब्यूरोक्रेट और बड़े नेता भी इसके अनुयायी हैं। डेरे ने सभी पार्टियों के साथ अच्छे संबंध कायम किए हुए हैं।
संस्थापक - बाबा जैमल सिंह 1891
मौजूदा प्रमुख -बाबा गुरिंदर सिंह
प्रभाव -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
नामधारी
नामधारी ज्यादातर कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है। वरिष्ठ नेता एच.एस.हंसपाल इस संप्रदाय से हैं और पंजाब में कांग्रेस के प्रधान भी रहे हैं। नामधारी प्रमुख आजादी की लड़ाई के दौरान भी सक्रिय रहे हैं। मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल इस डेरे से जुड़े अनुयायियों को अकाली दल की ओर आकषिर्त करने का हरसंभव प्रयास करते रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में सतगुरु राम सिंह के नाम पर एक चेयर स्थापित करने की हाल में ही घोषणा की।
संस्थापक - बाबा राम सिंह 1857
मौजूदा प्रमुख -सतगुरु जगजीत सिंह
प्रभाव -पंजाब व देश के अन्य हिस्सों में
मनप्रीत को पता चली डेरों की ताकत
साल भर पहले तक मनप्रीत बादल को डेरों की राजनीति पर यकीन नहीं था लेकिन अब जब वह भी डेरा सच्च सौदा की शरण मंे जा आएं हैं इसे देखकर लगता है कि उन्हें भी डेरे की ताकत का अंदाजा हो गया है। साल भर पहले तक वह कहते नहीं थकते कि पंजाब के लोगों को इस तरह की राजनीति में नहीं आना चाहिए।
डेरा सच्चा सौदा
इस डेरे का प्रभाव पूरे मालवा क्षेत्र में है और पंजाब की राजनीति में इसका ही सबसे अधिक प्रभाव है। डेरे ने बाकायदा अपना राजनीतिक विंग बनाया हुआ है जो यह तय करता है कि किस सीट पर किस पार्टी को समर्थन देना है। डेरे के अनुयायी अधिकतर दलित वर्ग से संबंधित है। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह भी विवादों में घिरे रहते हैं। 2007 वह गुरु गोबिंद सिंह जी का भेस धारण कर जाम-ए-इंसा पिलाने के चलते विवादों में आ गए। अकाल तख्त साहिब से उनके खिलाफ हुक्मनामा भी जारी हो गया। सिखों और डेरा प्रेमियों के बीच जबरदस्त खूनी भिड़तें हुईं। लेकिन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल संसदीय चुनाव तक डेरा प्रमुख को मनाने में कामयाब हो गए लिहाजा उन्हांेने बठिंडा और फरीदकोट सीट पर अकाली दल का साथ दिया। जबकि पटियाला और संगरूर सीटों पर कांग्रेस का साथ दिया।
संस्थापक - शाह मस्तान , 1948
मौजूदा प्रमुख -गुरमीत राम रहीम सिंह
प्रभाव -पंजाब हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र का कुछ भाग
डेरा सच्चखंड बल्लां
रविदासिया समुदाय से संबंधित इस डेरे का प्रभाव ज्यादातर दोआबा क्षेत्र में है। डेरा पहले तो कांग्रेस को अप्रत्यक्ष समर्थन देता रहता था लेकिन चर्चा है कि 2009 में विएना में हुए हत्याकांड के बाद स्थिति बदली हुई हैं। इस डेरे के सह प्रमुख संत रामानंद की आस्ट्रिया के विएना में हत्या हो गई थी। उससे उपजे विवाद को शांत करवाने में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने काफी प्रयास किए।
संस्थापक - संत स्वर्णदास 1928
मौजूदा प्रमुख -संत निरंजन दास
प्रभाव -पंजाब का दोआबा क्षेत्र
ये भी हैं प्रभावशाली स्थल
नानकसर- सिखों में इस धार्मिक स्थल का प्रभाव काफी है। हाल ही में नानकशाही कैलेंडर में जो परिवर्तन किया गया है उसे बदलवाने में इसी धार्मिक स्थल का हाथ बताया जाता है। उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल भी इसकी अनुयायी बताई जाती हैं।
संत अजीत सिंह हंसाली वाले- इनके अनुयायी वैसे तो पूरे प्रदेश में हैं लेकिन रोपड़, फतेहगढ़ साहिब जिलों में इनका प्रभाव अधिक है। हाल ही में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह ने परिवार सहित यहां का दौरा किया और संत का आशीर्वाद लिया।
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