जालंधर. मरहूम एएस प्रभाकर का मूल-मंत्र था अपना काम अपने हाथों से करो। यही नसीहत वह अपने साथियों और मातहतों को दिया करते थे। प्रभाकर की अकाल मृत्यु की खबर से सन्न अफसरों-मुलाजिमों को एक बार फिर उनकी दी हुई सीख याद आ गई।
तहसीलदार-2 कार्यालय के रीडर नरेश कुमार याद करते हैं कि जिला परिषद और ब्लाक समिति चुनाव में वह देर रात तक कार्यालय में रहकर रिपोर्ट बनाते रहते थे। हर फाइल खुद पढ़ते और मामले की गहराई तक जाने के बाद ही कोई निर्णय करते। जब तक संतुष्ट ना हों, फाइल आगे बढ़ाते ही नहीं।
प्रभाकर के बैचमेट रोपड़ के एडीसी एसपीएस मुराड़ इस शहर में साथ-साथ नौकरी भी कर चुके हैं। प्रभाकर एसडीएम थे और मुराड़ एडीसी। प्रभाकर के घर परिजनों को ढांढस बंधाने आए मुराड़ इसे व्यक्तिगत क्षति मानते हैं। बोले, ट्रेनिंग के दिनों में वह खेलकूद के भी शौकीन थे। खासतौर से कार्ड खेलना उनका शगल था। नौकरी के दिनों में बैडमिंटन उनका पसंदीदा खेल रहा। कपूरथला के एसपी ट्रैफिक एसके अगिAहोत्री उन दोस्तों में थे जो चंद मिनटों बाद घटनास्थल पर पहुंच गए। सामने दोस्त की लाश देखी तो अंदर से दहल गए।
बेसुध हो गई पत्नी आशा: इंदिरा पार्क स्थित प्रभाकर के घर पर हादसे की खबर मिलते ही खामोशी पसर गई। आहत आशा बेहोश हो गई, तो बेटियां गुमसुम। बेसुध हो रही आशा को होश में लाने का बार-बार प्रयास किया जा रहा था।
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