जालंधर. बहुचर्चित अमित गंगवार रैगिंग कांड में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मंगलवार को एनआईटी के सात छात्रों को ३-३ साल की कैद की सजा सुनाई है। एक छात्रा और तीन छात्रों को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। ६ साल बाद आए फैसले में जज एसके सिंगला ने सात अभियुक्तों पर २-२ हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
रैगिंग की घटना से दुखी अमित ने यहां करतारपुर और सूरानुस्सी स्टेशनों के बीच ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी कर ली थी। सजा सुनाने के साथ ही अभियुक्तों को जमानत पर छोड़ दिया गया। उन्हें हाईकोर्ट में अपील के लिए तीस दिन की मोहलत दी गई है।
पंचकूला स्थित सेना अस्पताल के नॉन-कमीशंड अफसर त्रिवेणी सहाय गंगवार का होनहार बेटा अमित यहां इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग का छात्र था। ज्यादातर अभियुक्त असम और नगालैंड के हैं। शेषत्नपेज १क् पर
रैगिंग में...
जिन्हें सजा सुनाई गई। वे हैं - यूपी में लखीमपुर खीरी जिले के अंकित श्रीवास्तव, गुवाहाटी के तनुज राय,
प्रसून किशोर वर्मा, अभिजीत विश्वास व सिद्धार्थ कुमार, शिबसागर जिले के नवल मिलानी, गंगटोक के प्रमोद हिमांग। अदालत से भागते हुए बाहर निकले आरोपी : फैसला के करीब तीन घंटे बाद आरोपियों की रिहाई हो गई। शाम को फैसला आने के बाद आरोपियों को पुलिस ने तुरंत हिरासत में ले लिया। इसके बाद उनकी उंगलियों के निशान लिए गए।
फिर उनके वकील ने अदालत में अपील के लिए अंतरिम जमानत मांगी जिसकी मंजूरी मिल गई।रिहाई मिलते ही आरोपियों ने कोर्ट काम्पलेक्स के बाहर मीडिया से बचने के लिए का प्रयास किया।कोई भागते हुए बाहर निकला तो कोई बाथरूम में जा छिपा। सभी आरोपी एक साथ निकलने की बजाय एक-एक करके अदालत से बाहर निकले।
कब क्या-क्या हुआ
11 अक्तूबर 2005 को अमित गंगवार ने आत्महत्या कर ली।
31 अक्तूबर 2005 को पुलिस को फोरेंसिक रिपोर्ट मिली।
8 दिसंबर 2005 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की।
9 मार्च 2006 को 11 वें आरोपी राहुल बोरगोहेन के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई।
मार्च 2009 को अभियोजन पक्ष की गवाहियां शुरू हुईं।
5 फरवरी 2010 को अभियोजन पक्ष की गवाहियां संपन्न हुईं।
26 फरवरी 2010 को आरोपियों के बयान कलमबद्ध किए गए।
30 मार्च 2010 से बचाव पक्ष की 14 गवाहियां शुरू हुईं।
15 व 16 नवंबर 2011 के बीच दोनों पक्षों में अंतिम बहस हुई।
29 नवंबर 2011 को अदालत का फैसला आया।
आरोपियों ने कर ली है इंजीनियरिंग पूरी
केस में नामजद आरोपियों ने ट्रायल के दौरान अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है। मामला दर्ज होने के बाद एनआईटी ने इन छात्रों को बाहर कर दिया था, लेकिन बाद में अदालती आदेशों पर इन्हें पुन: रख लिया गया था। इसके बाद कुछ ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी जबकि एक-दो जॉब भी कर रहे हैं।
जज साहब, इन्हें कड़ी से कड़ी सजा दीजिए
अदालत ने अमित के पिता त्रिवेणी सहाय से पूछा कि आप कुछ कहना चाहते हैं, तो जवाब में त्रिवेणी सहाय ने कहा कि मैं यही कहना चाहता हूं कि इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले। फैसले के बाद सहाय ने कहा कि दोषियों को और कड़ी सजा दिलाने के लिए वह हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
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