होश में आई तो बस रोती रही पूजा अरोड़ा
जालंधर. अपने दो स्कूली बच्चों का गला दबाकर खुद जहर खाने वाली पूजा अरोड़ा पांचवें दिन मंगलवार को होश में आ गई। मगर बोली कुछ नहीं। बस सुकबती रही। पहले उसकी बूढ़ी मां, फिर एक महिला सिपाही और बाद में पत्रकारों ने भी उससे बात करनी चाही। मुंह ढककर वह बस रोती रही। या छत पर ताकती रही। जिंदा लाश सी बन गई है वह बच्चों को मारकर। वह कुछ न कर ले, इसलिए जौहल अस्पताल में हर समय पूजा के सामने पहरा है।
रामामंडी के पास दकोहा के बाबा बुड्ढा जी नगर में पूजा ने 25 नवंबर को सुबह छह बजे अपने बच्चों की हत्या कर दी थी। रात सोने से पहले वह दिल पर पत्थर रख चुकी थी। पता चला है कि उस रात घर में 16 हजार रुपये थे। पूजा ने पड़ोसी को देकर कहा था, मां अमृतसर गई है, बच्चे छोटे हैं, डर लग रहा है, आप रख लें, सुबह ले लूंगी। बालियां उतारकर बिस्तर पर रख दी थीं और मां को खुदकुशी के बारे में बताने के बाद मोबाइल फोन आलमारी में।
पूजा के पति राजीव अरोड़ा विक्की की जुलाई में मौत हो गई थी। पूजा ने सुसाइड नोट में लिखा था कि बच्चे पापा-पापा करते रहते हैं, वह खुद भी विक्की के बिना जी नहीं सकती, इसलिए सबको उनके पास ले जा रही है। विक्की अपने चाचा की ट्रांसपोर्ट पर मैनेजर थे। उन्हें आठ हजार रुपये तनख्वाह मिलती थी। उनके चचेरे भाई प्रवीण कुमार ने बताया कि घर में दिक्कत नहीं थी। हर महीने पूजा को आठ हजार रुपये खर्च देते थे। छह हजार वह खुद। एक-एक हजार रुपये पूजा की बहन और विक्की के जीजाजी।
प्रवीण ने बताया कि कुछ दिन में पूजा को विक्की के बीमे के चार लाख रुपये भी मिलने थे। दो दिन पहले रिश्तेदार अतुल की शादी में भी वह खुश थी। तब कह रही थी कि वह अपने भाई सुरिंदर के लिए भी लड़की देख रही है। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि वह मां से हैवान बन गई। उन्होंने कहा कि पूजा ने जिस तरह चार पेजों का सुसाइड नोट लिखा, इससे ये बात साफ होती है कि वह काफी दिनों से ऐसा करने की सोच रही थी। मां के अमृतसर जाते ही उसने ऐसा कर दिया।
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