एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) का प्रमुख कारण
चआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वाइरस), एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) का प्रमुख कारण है। एड्स जानलेवा बीमारी है। एच.आई.वी. संक्रमण की अंतिम अवस्था एड्स है। वर्तमान में विश्व में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा लोग एच.आई.वी. से ग्रस्त हैं। इन दिनों भारत में लगभग 23.9 लाख व्यक्ति एच.आई.वी./ एड्स पीडि़त हैं। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार एच.आई.वी. पीडि़तों की संख्या कम हो रही है और संक्रमण दर में भी गिरावट आ रही है। इस साल की थीम इस वर्ष विश्र्व एड्स दिवस की थीम है- गेटिंग टू जीरो। यानी नए एच.आई.वी. संक्रमण की दर को शून्य स्तर पर लाना और बेहतर इलाज के जरिये एड्स से ग्रस्त लोगों की मृत्यु दर को शून्य स्तर पर लाना। इस थीम को सन् 2015 तक जारी रखा जाएगा। एच.आई.वी. क्या है मानव शरीर में कुदरती तौर पर एक प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) होता है, जो शरीर के अंदर संक्रमण और बीमारियों का मुकाबला करता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण अंग होती है एक कोशिका (सेल) जिसे सीडी-4 सेल कहते हैं। आम तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 500 से 1800 सीडी-4/ सीयूएमएल पायी जाती हैं। शरीर पर हमला एच.आई.वी. वाइरस शरीर में प्रवेश कर सीडी-4 सेल्स पर हमला करता है, और उनमें अपनी संख्या बढ़ाकर सीडी-4 सेल्स का विनाश शुरू कर देता है। कई सालों के दौरान धीरे-धीरे सीडी-4 सेल्स कम होने लगती हैं, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। परिणामस्वरूप शरीर सामान्यत: संक्रमण और बीमारियों का सही तरह से मुकाबला नहीं कर पाता। इस अवस्था को एड्स कहते हैं, जो अन्तत: मृत्यु का कारण बनता है। इस मर्ज में संक्रमण निरोधक शक्ति का धीरे-धीरे क्षय हो जाता है। इस कारण साधारण संक्रमण भी जानलेवा बीमारी का रूप लेते हैं। टी.बी. (क्षयरोग), डायरिया, निमोनिया, फंगल और हरपीज आदि ऐसे रोग हैं, जिनमें एच.आई.वी. संक्रमण इन रोगों को और जटिल बना देता है। एच.आई.वी. का प्रसार एच.आई.वी. का एक मुख्य कारण संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करना है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान शरीर में एच.आई.वी. संक्रमित रक्त के चढ़ जाने से। एच.आई.वी. पॉजिटिव व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई इंजेक्शन की सुई का इस्तेमाल करने से। एच.आई.वी. पॉजिटिव गर्भवती महिला गर्भावस्था के समय, प्रसव के दौरान या इसके बाद अपना दूध पिलाने से नवजात शिशु को संक्रमणग्रस्त कर सकती है। एड्स से संबंधित जांचें एलीसा टेस्ट: केवल स्क्रीनिंग व प्रारंभिक जांच। वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट: यह एच.आई.वी. संक्रमण की खास जांच है, जो पॉजिटिव टेस्ट बताती है कि कोई शख्स एचआईवी से ग्रस्त है। एच.आई.वी. पी-24 एंटीजेन (पी.सी.आर.): एच.आई.वी. की स्पष्ट जांच व रोग की तीव्रता की जानकारी पता चलती है। सीडी-4 काउंट: इस परीक्षण से रोगी की प्रतिरोधक क्षमता का आकलन किया जाता है। डॉ.ए.सी.अग्रवाल, एम.डी. (मेडिसिन) सीनियर फिजीशियन-सी.जी.एच.एस
चआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वाइरस), एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) का प्रमुख कारण है। एड्स जानलेवा बीमारी है। एच.आई.वी. संक्रमण की अंतिम अवस्था एड्स है। वर्तमान में विश्व में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा लोग एच.आई.वी. से ग्रस्त हैं। इन दिनों भारत में लगभग 23.9 लाख व्यक्ति एच.आई.वी./ एड्स पीडि़त हैं। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार एच.आई.वी. पीडि़तों की संख्या कम हो रही है और संक्रमण दर में भी गिरावट आ रही है। इस साल की थीम इस वर्ष विश्र्व एड्स दिवस की थीम है- गेटिंग टू जीरो। यानी नए एच.आई.वी. संक्रमण की दर को शून्य स्तर पर लाना और बेहतर इलाज के जरिये एड्स से ग्रस्त लोगों की मृत्यु दर को शून्य स्तर पर लाना। इस थीम को सन् 2015 तक जारी रखा जाएगा। एच.आई.वी. क्या है मानव शरीर में कुदरती तौर पर एक प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) होता है, जो शरीर के अंदर संक्रमण और बीमारियों का मुकाबला करता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण अंग होती है एक कोशिका (सेल) जिसे सीडी-4 सेल कहते हैं। आम तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 500 से 1800 सीडी-4/ सीयूएमएल पायी जाती हैं। शरीर पर हमला एच.आई.वी. वाइरस शरीर में प्रवेश कर सीडी-4 सेल्स पर हमला करता है, और उनमें अपनी संख्या बढ़ाकर सीडी-4 सेल्स का विनाश शुरू कर देता है। कई सालों के दौरान धीरे-धीरे सीडी-4 सेल्स कम होने लगती हैं, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। परिणामस्वरूप शरीर सामान्यत: संक्रमण और बीमारियों का सही तरह से मुकाबला नहीं कर पाता। इस अवस्था को एड्स कहते हैं, जो अन्तत: मृत्यु का कारण बनता है। इस मर्ज में संक्रमण निरोधक शक्ति का धीरे-धीरे क्षय हो जाता है। इस कारण साधारण संक्रमण भी जानलेवा बीमारी का रूप लेते हैं। टी.बी. (क्षयरोग), डायरिया, निमोनिया, फंगल और हरपीज आदि ऐसे रोग हैं, जिनमें एच.आई.वी. संक्रमण इन रोगों को और जटिल बना देता है। एच.आई.वी. का प्रसार एच.आई.वी. का एक मुख्य कारण संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करना है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान शरीर में एच.आई.वी. संक्रमित रक्त के चढ़ जाने से। एच.आई.वी. पॉजिटिव व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई इंजेक्शन की सुई का इस्तेमाल करने से। एच.आई.वी. पॉजिटिव गर्भवती महिला गर्भावस्था के समय, प्रसव के दौरान या इसके बाद अपना दूध पिलाने से नवजात शिशु को संक्रमणग्रस्त कर सकती है। एड्स से संबंधित जांचें एलीसा टेस्ट: केवल स्क्रीनिंग व प्रारंभिक जांच। वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट: यह एच.आई.वी. संक्रमण की खास जांच है, जो पॉजिटिव टेस्ट बताती है कि कोई शख्स एचआईवी से ग्रस्त है। एच.आई.वी. पी-24 एंटीजेन (पी.सी.आर.): एच.आई.वी. की स्पष्ट जांच व रोग की तीव्रता की जानकारी पता चलती है। सीडी-4 काउंट: इस परीक्षण से रोगी की प्रतिरोधक क्षमता का आकलन किया जाता है। डॉ.ए.सी.अग्रवाल, एम.डी. (मेडिसिन) सीनियर फिजीशियन-सी.जी.एच.एस
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