Thursday, 24 November 2011

Dhee Di Hatya

बच्ची को जन्म देकर सोने के लिए दे दी मौत की गोद

 
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जालंधर. लम्मा पिंड के नजदीक बसा न्यू विनय नगर मोहल्ला। बुधवार को बाद दोपहर तीन बजे रानी किसी काम से घर के बाहर निकली थीं। गोपाल किशन के क्वार्टर के सामने गुजरते उन्होंने देखा कुत्ता किसी चीज को नोंचे जा रहा है।
थोड़ा करीब गईं तो कलेजा उनके मुंह को आ गया। कुत्ता एक नवजात बच्ची के शव पर दांत मार रहा था। अंदर से दहली रानी के शोर मचाते ही कुत्ता वहां से भाग निकला और मोहल्ले के लोग जुट गए। जिसने भी देखा उसकी रूह तक कांप गई। वार्ड-8 के पार्षद निर्मल सिंह निम्मा भी आ गए और उनकी सूचना पर पुलिस पहुंच गई।
नवजात बच्ची के शरीर पर लाल व काले रंग की गर्म कमीज थी। यानी, बच्ची जन्म के बाद जीवित थी। वहां कुछ और गर्म कपड़ों के अलावा दवाइयां भी पड़ी थीं। कपड़े देखकर अनुमान लगाया गया कि किसी गरीब घराने से इस बच्ची का ताल्लुकात है। शव की स्थिति देख पुलिस को अंदेशा है कि यह कम से कम दो दिन पुराना है। किसी के घर बच्ची की मौत हुई होती तो यूं फेंका न जाता। तो क्या.. बच्ची की हत्या कर शव फेंक दिया गया। बेटी के साथ ऐसा सलूक..। विद्रूप हालत में पड़ा शव भी उस मां को ही कोस रहा था, जिसने जन्म देने के बाद सोने के लिए मौत की गोद दे दी।
पुलिस भी मान रही- हत्या हुई
एएसआई जोगिंदर पाल सिंह भी इसे हत्या मान रहे हैं और वीरवार को पोस्टमार्टम के बाद यह तय करेंगे कि हत्या किस तरह की गई। पुलिस ने मौके का गंभीरता से मुआयना किया ताकि कोई सुराग मिल सके और उसके जन्मदाताओं तक पहुंचा जा सके, मगर कपड़े-दवाइयों के सिवा कुछ ना मिला।
बीमारी से मरी होती तो दफनाते जरूर
बच्ची के शव के साथ कपड़े-लत्तों के ढेर में दवाइयों की शीशियां भी मिली हैं। इनमें एक मल्टीप्लेक्स है तो दूसरी स्पास्किड। बच्चों के डाक्टर अनिल सूद के अनुसार पहली टॉनिक है तो दूसरी पेट दर्द की दवा। नवजात को ये दवाइयां देने की जरूरत कम पड़ती है। सवाल है-बच्ची बीमारी से मरती तो मां-बाप इज्जत के साथ दफनाते। कुत्तों का ग्रास बनने नहीं छोड़ते। लगता है, उसे मारकर फेंका गया। या जिंदा फेंका गया होगा तो सर्द होती रात में चल बसी होगी।

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