सांसत में सांभरों की जान
-सीजन में पांच सांभर शहर आ चुके हैं। होशियारपुर स्थित रहमोपुर तक्खणी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी से सांभर आते हैं। इसका एरिया करीब 954 एकड़ है। इस सेंक्चुरी से निकलती नहरें आदमपुर नहर से जुड़ी हैं। इन नहरों के जरिये ही सांभर शहर तक पहुंच जाते हैं। हकीकत यह है कि सांभरों को बचाने के लिए तमाम योजनाएं बनीं, लेकिन सेंक्चुरी की हदों पर फेंसिंग नहीं की जा सकी है। सेंक्चुरी में शिकार रोकने के लिए गार्ड भी उपलब्ध नहीं हैं। जंगलात विभाग ने उन रास्तों को भी बंद नहीं किया है, जिनके जरिये सांभर शहरों में आ जाते हैं। होशियारपुर के वाइल्ड लाइफ अफसर सतनाम सिंह ने कहा कि सेंचुरी के लिए गार्ड की कमी जल्द पूरी हो जाएगी। सांभर का पलायन रोकने की योजना के बारे वह कोई साफ उत्तर नहीं दे पाए। सांभरों को इस कारण नहीं मिलती सुरक्षा जालंधर शहर में जब सांभर आते हैं तो उन्हें बचाने जालंधर फारेस्ट कार्यालय की टीम जाती है।टीम के पास न तो बेहोश करने वाली गन है और न ही बेहोशी की दवा देने वाला डाक्टर। यहां तक की उनके पास स्पेशल वाहन भी नहीं है। जनता के पास पंजाब में वाइल्ड लाइफ हेल्पलाइन भी उपलब्ध नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि होशियारपुर, रोपड़, पठानकोट एंव संगरूर में वाइल्ड लाइफ का अलग सेक्शन है, लेकिन जालंधर में फारेस्ट सेक्शन से ही वाइल्ड लाइफ वाला काम लिया जा रहा है, जबकि जालंधर फिल्लौर में चिडि़याघर भी चलाता है।
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