Friday, 30 December 2011

Cunavi Kissey

नावी किस्से@ उजड़ते उजड़ते बचा नेता जी का परिवार

 
नए नए एक नेता पर राजनीति करने और चुनाव लड़ने का ऐसा भूत सवार हुआ कि राजनीतिक कैरियर बनाने के चक्कर में परिवार का कैरियर बर्बाद करते-करते बचे।
2002 में हुए विधानसभा चुनावों में नेता जी बतौर आजाद उम्मीदवार मैदान में कूद गए। इतेफाक से नेता की पत्नी का भाई भी उसी सीट से आजाद खड़ा हो गया। जीजा और साला मैदान में आ गए।
नेता की पत्नी चाहती थी कि उसका पति चुनाव न लड़े और उसके भाई का समर्थन करे। नेता जी नहीं माने और परिवार में कलह हो गई। पत्नी नाराज होकर मायके चली गई और मतदान के दिन भाई को वोट डाल दी।
पति को पता चला तो आग बबूला हो गए। पत्नी घर आई तो मारपीट, यहां तक की तलाक तक की नौबत आई। बसा बसाया घर उजड़ने के कगार पर आ गया। लोगों ने समझाया तो बात पल्ले पड़ी कि हमने को पंगा ही ले लिया था।

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