Tuesday, 13 December 2011

Mela lovers


यहां लगता है मजनुओं का 'मेला', खूब होती है अश्लीलता!

 

हमारादेश सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण है। हमारे लिए हर दिन महत्वपूर्ण होता है। हम हर दिन कोई ना कोई त्योहार या जयंती मनाते है। होली, दिपावली और ईद जैसे त्योहार हों या गांधी-नेहरू जैसी जयंती पूरा देश इसे बड़ी सिद्दत से मनाता है। ऐसे हमारे देश में पारंपरिक मेलों का भी इतिहास रहा है।

पुराने समय से ही मेले में दूर-दूर से लोग एक जगह एकत्रित होते रहे हैं। अपना देश तो मेलों के लिए प्रसिद्ध रहा है। हम सभी जानते हैं कि जब लोग किसी एक स्थान पर सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक कारणों से इकठ्ठे होते हैं तो वहां मेला लग जाता है। इस तरह के मेले अनेक प्रकार के होते हैं, जहां तरह-तरह के क्रियाकलाप, मसलन जादूई खेल और झूला और दुकाने आदि होते हैं।

इसी तरह यूपी के मेरठ में ऐतिहासिक नौचंदी मेला लगता है। इस मेले को हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नवचण्डी देवी का मंदिर एक दूसरे के पास ही स्थित हैं। मेले के दौरान मंदिर के घण्टों के साथ अज़ान की आवाज़ एक सांप्रदायिक अध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है। यह मेला अप्रैल में नवरात्रि से एक सप्ताह पहले से लग जाता है।

एक माह तक चलता है। जब इसी मेले की शुरूआत हुई थी, तब इसका उद्देश्य हिन्दू-मुस्लिम एकता को स्थापित करना था। समय के साथ मेले का उद्देश्य बदल गया। जहां पहले दोनों संप्रदाय के लोग आपसी व्यवहार करते थे, वहीं अब इस भावना से दूर लोग अश्लीलता को देख कर मनोरंजन करते हैं।

आपकी राय: हम दिन प्रतिदिन सामाजिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं। इस वीडियो को देखने के बाद क्या आपको नहीं लगता कि हमारे सामाजिक उद्देश्य विकृत हो चुके हैं। हम संस्कारों, परंपराओं और सामाजिक मूल्यों की तिलांजली दे रहे हैं। अपनी राय नीचे दिए गए कमेंट्य बॉक्स में लिखें। बेहतर प्रतिक्रिया को हम प्रकाशित करेंगे। हां, आपसे एक विनम्र निवेदन है कि अपनी राय मर्यादित भाषा में दें। यदि आपकी भाषा से कोई आहत होता है या कोई कानूनी कार्रवाही होती है, तो इसके लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे।

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