पुलिस में निकाले खोट, मीडिया को बांटे नोट
अमृतसर. पुलिस शालीमार रिजोर्ट में जुए के खिलाफ कार्रवाई के सवालों से अभी बाहर निकल नहीं पाई थी कि ज्वाला इस्टेट के जुए ने उसकी कार्यप्रणाली पर फिर सवाल खड़ा कर दिया है।
अहम बात तो यह है कि पुलिस ने इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां दिखाते हुए किसी खास को नामजद नहीं किया था, मगर पार्षद सुरिंदर कपूर ने वीरवार को प्रेस कांफ्रेंस करके सार्वजनिक कर दिया कि यह जाल पुलिस ने रंजिशन उनको तथा उनके लोगों को फंसाने के लिए बुना था। इस दौरान अहम बात तो यह रही कि पार्षद के कारकुनों ने सार्वजनिक रूप से मीडिया को नोट भरे लिफाफों की पेशकश की। नतीजतन उन्हें मीडिया के रोष का सामना करना पड़ा।
पुलिस पर मढ़ा आरोप
सुरिंदर कपूर ने जिस तरीके से पुलिस को सवालों में खड़ा किया है, उससे पुलिस की भूमिका संदिग्ध हो न हो मगर कार्यप्रणाली पर जरूर अंगुली उठने लगी है। सु¨रदर कपूर ने अपने लोगों के साथ एक स्थानीय होटल में मीडिया से रूबरू होते हुए आरोप लगाया है कि पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है वे बलदेव राज मट्टू, गुरदीप सोनू तथा ड्राइवर दलजीत गोल्डी को नाइयां वाले मोड़ से पकड़ा था।
ये लोग उनकी कोठी खरीदने के लिए आए हुए थे। पार्षद का कहना है कि वे लोग 30 लाख रुपए लेकर आए थे, लेकिन वह अपनी कोठी की कीमत 35 लाख रुपए मांग रहे थे। सौदा न पटने के कारण जब वे वापस जाने लगे तो पुलिस ने यह प्रोपेगंडा रचा।
उनका आरोप है कि पुलिस ने 26 लाख 10 हजार रुपए दिखाए, जबकि तीन लाख 90 हजार खुद ले गई। उनका आरोप है कि कार्रवाई करने वाली टीम के एक सदस्य के एक दोस्त से उनका विगत में झगड़ा हुआ था और उसने वही रंजिश निकाली है।
कपूर ने पुलिस पर एक और आरोप मढ़ते हुए कहा कि उनके जालंधर के एक आदमी से पुलिस ने घटना के तत्काल बाद तीन लाख रुपए रिश्वत के रूप में लिए हैं। पुलिस ने उसे धमकाया था कि अगर रिश्वत नहीं देता है तो उसे स्मैक के मामले में फंसाया जाएगा।
उनके जिन लोगों को पुलिस ने भगोड़ा करार दिया है वे घर में सोए थे और उनको फंसाया है। जिला चुनाव अधिकारी रजत अग्रवाल के अनुसार आचार संहिता के चलते एक लाख से अधिक की राशि रखने के लिए उसके तमाम दस्तावेज मालिक के पास होने अनिवार्य हैं।
अहम बात तो यह है कि पुलिस ने इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां दिखाते हुए किसी खास को नामजद नहीं किया था, मगर पार्षद सुरिंदर कपूर ने वीरवार को प्रेस कांफ्रेंस करके सार्वजनिक कर दिया कि यह जाल पुलिस ने रंजिशन उनको तथा उनके लोगों को फंसाने के लिए बुना था। इस दौरान अहम बात तो यह रही कि पार्षद के कारकुनों ने सार्वजनिक रूप से मीडिया को नोट भरे लिफाफों की पेशकश की। नतीजतन उन्हें मीडिया के रोष का सामना करना पड़ा।
पुलिस पर मढ़ा आरोप
सुरिंदर कपूर ने जिस तरीके से पुलिस को सवालों में खड़ा किया है, उससे पुलिस की भूमिका संदिग्ध हो न हो मगर कार्यप्रणाली पर जरूर अंगुली उठने लगी है। सु¨रदर कपूर ने अपने लोगों के साथ एक स्थानीय होटल में मीडिया से रूबरू होते हुए आरोप लगाया है कि पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है वे बलदेव राज मट्टू, गुरदीप सोनू तथा ड्राइवर दलजीत गोल्डी को नाइयां वाले मोड़ से पकड़ा था।
ये लोग उनकी कोठी खरीदने के लिए आए हुए थे। पार्षद का कहना है कि वे लोग 30 लाख रुपए लेकर आए थे, लेकिन वह अपनी कोठी की कीमत 35 लाख रुपए मांग रहे थे। सौदा न पटने के कारण जब वे वापस जाने लगे तो पुलिस ने यह प्रोपेगंडा रचा।
उनका आरोप है कि पुलिस ने 26 लाख 10 हजार रुपए दिखाए, जबकि तीन लाख 90 हजार खुद ले गई। उनका आरोप है कि कार्रवाई करने वाली टीम के एक सदस्य के एक दोस्त से उनका विगत में झगड़ा हुआ था और उसने वही रंजिश निकाली है।
कपूर ने पुलिस पर एक और आरोप मढ़ते हुए कहा कि उनके जालंधर के एक आदमी से पुलिस ने घटना के तत्काल बाद तीन लाख रुपए रिश्वत के रूप में लिए हैं। पुलिस ने उसे धमकाया था कि अगर रिश्वत नहीं देता है तो उसे स्मैक के मामले में फंसाया जाएगा।
उनके जिन लोगों को पुलिस ने भगोड़ा करार दिया है वे घर में सोए थे और उनको फंसाया है। जिला चुनाव अधिकारी रजत अग्रवाल के अनुसार आचार संहिता के चलते एक लाख से अधिक की राशि रखने के लिए उसके तमाम दस्तावेज मालिक के पास होने अनिवार्य हैं।
॥ मुझे केस की ज्यादा जानकारी नहीं, क्योंकि मैं बुधवार को चंडीगढ़ में था। रही बात पुलिस पर झूठा पर्चा डालने एवं रिश्वत मांगने के आरोप लगाने कि तो जिसके खिलाफ भी कार्रवाई होती है तो वे आधारहीन आरोप लगाते ही हैं।
मुझे नहीं मालूम कि जब पर्चे में उनका नाम नहीं है तो वे ऐसे आरोप क्यूं लगा रहे हैं। कार्रवाई बिना रंजिश के की गई है। अगर पार्षद सुरिंदर को लगता है कि उनके साथ गलत हुआ है तो उनसे मिलकर शिकायत करनी चाहिए।- आरपी मित्तल, पुलिस कमिश्नर
मीडिया ने जताया रोष
प्रेस कांफ्रेंस खत्म होने ही वाली थी कि कपूर के कुछ लोग मीडिया कर्मियों से मुखातिब हुए और उनकी जेबों में रुपए भरे लिफाफे डालने शुरू कर दिए। इसको लेकर जब मीडिया कर्मियों ने ऐतराज जताया तो लिफाफे बांटने वाले ‘छड्डो भा जी, छड्डो भा जी’ कहते हुए मामले को शांत करने लगे। इसके चलते मीडिया के रोष का उन्हें सामना करना पड़ा।
एक ही पत्थर से दूसरी ठोकर
अमृतसर. शालीमार रिजोर्ट की गैंबलिंग नाइट में रईसजादों के खिलाफ ठोस कार्रवाई न करके पुलिस ने जो गलती की, उसे ज्वाला इस्टेट में पकड़े गए जुए के अड्डे के मामले में फिर से दोहरा दिया गया है।
पुलिस ने रसूखदार नेता सहित जिन लोगों को बख्शा उन्होंने अपना दामन बचाने के लिए उलटा पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर एक बार फिर गैंबलिंग नाइट की पुनरावृत्ति कर दी। अब सवाल यह है कि पुलिस उसी पत्थर से दूसरी ठोकर खाएगी या पहली भूल से सबक लेते हुए शिकंजा कस ठोस कार्रवाई की मिसाल सामने रखेगी। इस बात में कोई संदेह नहीं कि शालीमार रिजोर्ट की गैंबलिंग नाइट में हाथ डाल पुलिस ने जो वाहवाही बटोरी, कार्रवाई में उस सबकी किरकिरी हो गई।
हालात यह है कि पुलिस के आला अधिकारियों को अब अपनी नाक बचानी पड़ रही है। जांच मुकम्मल होना तो दूर आरोप-प्रत्यारोप के ऐसे वार हुए कि एडीसीपी, थाना प्रभारी स्तर के अधिकारियों सहित कई मुलाजिम सस्पेंड कर दिए गए।
ज्वाला इस्टेट के मामले में भी कुछ इस तरह का अक्स नजर आ रहा है। कार्रवाई करने वाले मुलाजिमों पर ही रंजिशन कार्रवाई करने, रुपयों में घालमेल करने और रिश्वत लेने के लिए पर्चा दर्ज करने की धमकी देने जैसे संगीन आरोप लग रहे हैं।
फिर से कटघरे में खड़ी पुलिस अब क्या जवाब देगी, यह देखना तो दूर, मुलाजिमों का रहा-सहा हौसला पस्त होता नजर आ रहा है। यही वजह है कि कोई मामले में बोलने तक को तैयार नहीं।
पुलिस जगत से जुड़े एक्सपर्ट मानते हैं कि ढुलमुल कार्रवाई कर पुलिस अपने लिए मुश्किलें खड़ी करती है। गैंबलिंग नाइट मामले में उठे सवालों से पुलिस कर्मी जुए के अड्डों पर छापामारी से गुरेज कर रहे थे। किसी भी उनके लिए नौकरी दाव पर लगाकर ऐसा करना मुश्किल था। यही वजह थी कि छापामारी के लिए स्पेशल सैल का गठन करना पड़ा, लेकिन अब इसकी कार्रवाई पर भी सवाल खड़ा हो गया है।
मुझे नहीं मालूम कि जब पर्चे में उनका नाम नहीं है तो वे ऐसे आरोप क्यूं लगा रहे हैं। कार्रवाई बिना रंजिश के की गई है। अगर पार्षद सुरिंदर को लगता है कि उनके साथ गलत हुआ है तो उनसे मिलकर शिकायत करनी चाहिए।- आरपी मित्तल, पुलिस कमिश्नर
मीडिया ने जताया रोष
प्रेस कांफ्रेंस खत्म होने ही वाली थी कि कपूर के कुछ लोग मीडिया कर्मियों से मुखातिब हुए और उनकी जेबों में रुपए भरे लिफाफे डालने शुरू कर दिए। इसको लेकर जब मीडिया कर्मियों ने ऐतराज जताया तो लिफाफे बांटने वाले ‘छड्डो भा जी, छड्डो भा जी’ कहते हुए मामले को शांत करने लगे। इसके चलते मीडिया के रोष का उन्हें सामना करना पड़ा।
एक ही पत्थर से दूसरी ठोकर
अमृतसर. शालीमार रिजोर्ट की गैंबलिंग नाइट में रईसजादों के खिलाफ ठोस कार्रवाई न करके पुलिस ने जो गलती की, उसे ज्वाला इस्टेट में पकड़े गए जुए के अड्डे के मामले में फिर से दोहरा दिया गया है।
पुलिस ने रसूखदार नेता सहित जिन लोगों को बख्शा उन्होंने अपना दामन बचाने के लिए उलटा पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर एक बार फिर गैंबलिंग नाइट की पुनरावृत्ति कर दी। अब सवाल यह है कि पुलिस उसी पत्थर से दूसरी ठोकर खाएगी या पहली भूल से सबक लेते हुए शिकंजा कस ठोस कार्रवाई की मिसाल सामने रखेगी। इस बात में कोई संदेह नहीं कि शालीमार रिजोर्ट की गैंबलिंग नाइट में हाथ डाल पुलिस ने जो वाहवाही बटोरी, कार्रवाई में उस सबकी किरकिरी हो गई।
हालात यह है कि पुलिस के आला अधिकारियों को अब अपनी नाक बचानी पड़ रही है। जांच मुकम्मल होना तो दूर आरोप-प्रत्यारोप के ऐसे वार हुए कि एडीसीपी, थाना प्रभारी स्तर के अधिकारियों सहित कई मुलाजिम सस्पेंड कर दिए गए।
ज्वाला इस्टेट के मामले में भी कुछ इस तरह का अक्स नजर आ रहा है। कार्रवाई करने वाले मुलाजिमों पर ही रंजिशन कार्रवाई करने, रुपयों में घालमेल करने और रिश्वत लेने के लिए पर्चा दर्ज करने की धमकी देने जैसे संगीन आरोप लग रहे हैं।
फिर से कटघरे में खड़ी पुलिस अब क्या जवाब देगी, यह देखना तो दूर, मुलाजिमों का रहा-सहा हौसला पस्त होता नजर आ रहा है। यही वजह है कि कोई मामले में बोलने तक को तैयार नहीं।
पुलिस जगत से जुड़े एक्सपर्ट मानते हैं कि ढुलमुल कार्रवाई कर पुलिस अपने लिए मुश्किलें खड़ी करती है। गैंबलिंग नाइट मामले में उठे सवालों से पुलिस कर्मी जुए के अड्डों पर छापामारी से गुरेज कर रहे थे। किसी भी उनके लिए नौकरी दाव पर लगाकर ऐसा करना मुश्किल था। यही वजह थी कि छापामारी के लिए स्पेशल सैल का गठन करना पड़ा, लेकिन अब इसकी कार्रवाई पर भी सवाल खड़ा हो गया है।
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