Sunday, 15 January 2012

ਸਰਪੰਚ 'ਤੇ ਲਗਾਇਆ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਦੋਸ਼


ਜਲੰਧਰ, 14 ਜਨਵਰੀ -- ਜ਼ਿਲਾ ਸ਼ਾਹਕੋਟ ਦੇ ਪਿੰਡ ਦੌਲਤਪੁਰ ਢੱਡਾ 'ਚ 3 ਨੌਜਵਾਨਾਂ 'ਤੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਹੀ ਕੁਝ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਤੇਜ਼ਧਾਰ ਹਥਿਆਰ ਨਾਲ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਜ਼ਖਮੀਆਂ ਨੂੰ ਗੰਭੀਰ ਹਾਲਤ 'ਚ ਜਲੰਧਰ ਦੇ ਸਿਵਲ ਹਸਪਤਾਲ 'ਚ ਰੈਫਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ। ਜ਼ਖਮੀ ਹੈਪੀ ਪੁੱਤਰ ਸਤਨਾਮ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਰਪੰਚ 'ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਇਆ ਹੈ ਤੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਪਿਛਲੇ ਦਿਨੀਂ ਉਸ ਦਾ ਸਰਪੰਚ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਨਾਲ ਵਿਵਾਦ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਇਸ ਰੰਜਿਸ਼ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਰਪੰਚ ਨੇ ਸਾਥੀਆਂ ਸਮੇਤ ਉਸ ਉਪਰ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਆਏ ਉਸ ਦੇ ਦੋਸਤ ਮਨੀਸ਼ ਨੂੰ ਜ਼ਖਮੀਂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਮਿੱਠਾਪੁਰ 'ਚ ਰਿਕਸ਼ਾ ਚਾਲਕ ਜੈ ਰਾਜ ਪੁੱਤਰ ਰਾਮ ਵਚਨ ਨੂੰ ਰੁਪਿਆਂ ਦੇ ਲੈਣ-ਦੇਣ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਸਾਥ ਕੁਆਰਟਰ 'ਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲਾ ਪ੍ਰਵਾਸੀ ਨੌਜਵਾਨ ਨੇ ਡੰਡਿਆਂ ਨਾਲ ਮਾਰ ਕੇ ਜੈ ਰਾਮ ਦੇ ਹੱਥ ਦੀ ਹੱਡੀ ਤੋੜ ਦਿੱਤੀ। ਇਕ ਹੋਰ ਘਟਨਾ 'ਚ ਘਰ ਤੋਂ ਆਪਣੀ ਮਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਦਵਾਈ ਲੈਣ ਗਏ ਨੌਜਵਾਨ ਕਮਲ ਸ਼ਰਮਾ ਪੁੱਤਰ ਮਨੋਜ ਸ਼ਰਮਾ ਨੂੰ ਬਸਤੀ ਗੁਜਾਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਨਸ਼ਾ ਵੇਚਣ ਵਾਲੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੇ ਰੋਕ ਕੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਕੇ ਜ਼ਖਮੀ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਸਿਵਲ ਹਸਪਤਾਲ 'ਚ ਜ਼ੇਰੇ ਇਲਾਜ ਕਮਲ ਸ਼ਰਮਾ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਲਾਕੇ 'ਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ 5-6 ਨੌਜਵਾਨ ਜੋ ਕਿ ਨਸ਼ਾ ਵੇਚਦੇ ਹਨ ਤੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਚੌਕ 'ਚ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋ ਕੇ ਰਾਹਗੀਰਾਂ ਨਾਲ ਵਿਵਾਦ ਕਰਨ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਕਤ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਬਿਨਾਂ ਮਤਲਬ ਰੋਕਿਆ ਤੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ। ਪੁਲਸ ਵਲੋਂ ਸਾਰੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦੀ ਜਾਂਚ ਜਾਰੀ ਹੈ।

ਸੁਖਬੀਰ ਬਾਦਲ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ 'ਚ ਪਰਮਜੀਤ ਰਾਏਪੁਰ ਵਲੋਂ ਪ੍ਰਗਟ ਸਿੰਘ ਦੀ ਹਮਾਇਤ ਦਾ ਐਲਾਨ

ਸੁਖਬੀਰ ਬਾਦਲ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ 'ਚ ਪਰਮਜੀਤ ਰਾਏਪੁਰ ਵਲੋਂ ਪ੍ਰਗਟ ਸਿੰਘ ਦੀ ਹਮਾਇਤ ਦਾ ਐਲਾਨ

ਜਲੰਧਰ, 14 ਜਨਵਰੀ -- ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਤੇ ਭਾਜਪਾ ਗਠਜੋੜ ਦੇ ਜਲੰਧਰ ਛਾਉਣੀ ਹਲਕੇ ਤੋਂ ਉਮੀਦਵਾਰ ਸਾਬਕਾ ਹਾਕੀ ਓਲੰਪੀਅਨ ਪ੍ਰਗਟ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਅੱਜ ਉਸ ਵੇਲੇ ਬਹੁਤ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੋ ਗਈ ਜਦੋਂ ਜਲੰਧਰ ਛਾਉਣੀ ਹਲਕੇ ਤੋਂ ਪਾਰਟੀ ਦੀ ਟਿਕਟ ਨਾ ਮਿਲਣ 'ਤੇ ਨਿਰਾਸ਼ ਚੱਲ ਰਹੇ ਜਲੰਧਰ ਛਾਉਣੀ ਮਾਰਕੀਟ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਚੇਅਰਮੈਨ ਪਰਮਜੀਤ ਸਿੰਘ ਰਾਏਪੁਰ ਨੇ ਆਪਣੇ ਹੀ ਨਿਵਾਸ ਸਥਾਨ 'ਤੇ ਪੁੱਜੇ ਪਾਰਟੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਤੇ ਉਪ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਪੰਜਾਬ ਸੁਖਬੀਰ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਪ੍ਰਗਟ ਸਿੰਘ ਦੀ ਹਮਾਇਤ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਲਾਗੇ ਹੀ ਸਥਿਤ  ਕੁੱਕੜ ਪਿੰਡ ਤੋਂ ਪੀਪਲਜ਼ ਪਾਰਟੀ ਆਫ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਯੂਥ ਆਗੂ ਜਸਪਾਲ ਸਿੰਘ ਪਾਲਾ ਨੇ ਸਾਥੀਆਂ ਸਮੇਤ ਪੀ. ਪੀ. ਪੀ. ਨੂੰ ਅਲਵਿਦਾ ਕਹਿ ਕੇ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਸੁਖਬੀਰ ਬਾਦਲ ਨੇ ਪਿੰਡ ਰਾਏਪੁਰ ਵਿਖੇ ਪਰਮਜੀਤ ਸਿੰਘ ਰਾਏਪੁਰ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਕੀਤੇ ਗਏ ਪਾਰਟੀ ਵਰਕਰਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਇਕੱਠ ਨੂੰ ਸੰਬੋਧਨ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਕਿਹਾ ਕਿ ਪਿਛਲੇ ਪੰਜ ਸਾਲਾਂ 'ਚ ਜਿੰਨਾ ਵਿਕਾਸ ਅਕਾਲੀ-ਭਾਜਪਾ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਕੀਤਾ ਹੈ ਓਨਾ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ 40 ਸਾਲਾਂ 'ਚ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਗਟ ਸਿੰਘ ਬਾਰੇ  ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਇਮਾਨਦਾਰ ਤੇ ਬੇਦਾਗ ਨੇਤਾ ਹਨ। ਇਸੇ ਨੂੰ ਮੁੱਖ ਰੱਖ ਕੇ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਜਲੰਧਰ ਛਾਉਣੀ ਹਲਕੇ ਤੋਂ ਆਪਣਾ ਉਮੀਦਵਾਰ ਬਣਾ ਕੇ ਚੋਣ ਦੰਗਲ 'ਚ ਉਤਾਰਿਆ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਵਰਕਰਾਂ ਨੂੰ ਅਪੀਲ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਪ੍ਰਗਟ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਭਰ 'ਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਲੀਡ ਨਾਲ ਜਿਤਾ ਕੇ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ 'ਚ ਭੇਜਣ ਤਾਂ ਕਿ ਪੂਰੀ ਦੁਨੀਆ ਵਿਚ ਇਹ ਮਿਸਾਲ ਭਣ ਸਕੇ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਤੇ ਇਮਾਨਦਾਰ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਕਿੰਨਾ ਸਨਮਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਰਕਾਰ ਬਣਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪ੍ਰਗਟ ਸਿੰਘ ਜਲੰਧਰ ਛਾਉਣੀ ਹਲਕੇ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਜੋ ਵੀ ਸਰਕਾਰ ਕੋਲੋਂ ਚਾਹੁਣਗੇ। ਉਸਨੂੰ ਪਹਿਲ ਆਧਾਰ 'ਤੇ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ। ਪਰਮਜੀਤ ਸਿੰਘ ਰਾਏਪੁਰ ਨੇ ਵੀ ਆਪਣੇ ਹਾਜ਼ਰ ਸਮਰਥਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਪ੍ਰਗਟ ਸਿੰਘ ਦੀ ਜਿੱਤ ਨੂੰ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਉਣ ਵਾਸਤੇ ਦਿਨ-ਰਾਤ ਇਕ ਕਰ ਦੇਣ। ਪ੍ਰਗਟ ਸਿੰਘ ਨੇ ਪਰਮਜੀਤ ਸਿੰਘ ਰਾਏਪੁਰ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸਮਰਥਕਾਂ ਵਲੋਂ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪਿਆਰ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ

भाइयों ने युवक संग किया कुकर्म, नेट पर क्लिप देख मचा बवाल



अमृतसर. पुरानी रंजिश में दो भाइयों ने साथियों संग चौक बाबा साहिब सिंह में रहने वाले एक युवक का अपहरण करके उसके साथ कुकर्म किया और केश भी कत्ल कर दिए। साथ ही इसकी क्लिपिंग बनाकर नेट पर डाल दी गई। हालांकि पीड़ित सब कुछ सहन करके लज्जा के मारे चुप बैठा था, लेकिन नेट से उसकी असलियत सामने आने पर शोर मच गया।


इसे सहन न करते हुए उसने थाना सी डिवीजन की पुलिस को शिकायत कर दी। सी डिवीजन की पुलिस ने दोनों भाइयों सहित 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। फिलहाल किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। पीड़ित युवक दरबार साहिब में कार्यरत सेवादार जगजीत सिंह का बेटा है। इसके कुछ दिन पहले दोनों भाइयों से उसकी लड़ाई हुई थी और इसी रंजिश में ही उन्होंने उसे फोन करके जलियांवाला बाग बुलाया था।

आरोपी अकाली मार्केट में रहने वाले रणजोध सिंह उर्फ जोधा और परमजीत सिंह उर्फ पम्मा सहित 13 अज्ञात लोग हैं। जगजीत सिंह ने बताया कि आठ जनवरी को शाम साढ़े आठ बजे आरोपियों ने राजीनामे के लिए उसे जलियांवाला बाग के पास बुलाया। जब वह जा रहा था तो उन्होंने रेलवे स्टेशन के पास से तलवारों से धमकाकर उसका अपहरण कर लिया। वे उसे एक इमारत के बाथरूम में ले गए और वहां उससे कुकर्म किया। साथ ही उसके केश कत्ल कर दिए और जेब में पड़े एक हजार रुपए और मोबाइल छीनकर अपने पास रख लिया।

किसी तरह उनके चंगुल से छूटने के बाद वह घर पहुंचा तो लोक-लज्जा से किसी को कुकर्म के बारे में बता नहीं सका। इसलिए उसने पुलिस को शिकायत नहीं की। लेकिन दूसरी ओर आरोपियों ने उसे बदनाम करने के लिए कुकर्म के वक्त बनाई गई क्लिपिंग नेट पर डाल दी और जानकारी मोबाइल में दे डाली। बात खुलते-खुलते जब उस तक पहुंची तो उसे बहुत शर्मिदगी उठानी पड़ी, जिससे उसने पुलिस को शिकायत कर दी। जांच के बाद सब इंस्पेक्टर रणधीर सिंह ने केस दर्ज कर लिया है।

सेक्स रैकेट का खुलासा: हाई प्रोफाइल लोगों पर गिर सकती है गाज


गुड़गांव .साइबर सिटी के पाश इलाके डीएफएफ फेज-दो स्थित गेस्ट हाउस में चार भारतीय लड़कियों के साथ सेक्स रैकेट में पकड़ी गई रशियन कॉल गर्ल को पुलिस ने शनिवार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। जहां से पांचों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस अब सेक्स रैकेट के मास्टर माइंड और गेस्ट हाउस संचालक की तलाश कर रही है।
बताते चलें कि डीएलएफ फेज-दो पुलिस को सूचना मिली की डीएलएफ फेज-दो के एन ब्लाक में स्थित फ्लैट नंबर 3/17 में बसंत रेजीडेंसी के नाम से संचालित गेस्ट हाउस सेक्स रैकेट चल रहा है।वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद डीएलएफ फेज-दो थाने के दो पुलिसकर्मी सादी वर्दी में ग्राहक बनकर पहुंचे।
एक ने एक इंडियन और एक विदेशी लड़की की मांग की तो दूसरे ने दो इंडियन लड़की की मांग की। इंडियन के लिए सात हजार रुपए और विदेशी के लिए नौ हजार रुपए तय हुए। कमरे के लिए दो हजार रुपए की अतिरिक्त मांग की गई। दलाल ने दोनों ग्राहकों का नंबर नोट किया। इस बीच लड़कियां भी एक टैक्सी से गेस्ट हाउस पहुंच गईं। ग्राहक बने पुलिसकर्मियों का सिग्नल मिलते ही एसीपी कृष्ण कुमारी की टीम ने छापा मारा। छापेमारी में एक रशियन लड़की के साथ चार भारतीय लड़कियां पुलिस के हत्थे चढ़ गईं।
रात में मेडिकल कराए जाने के बाद पुलिस ने शनिवार की सुबह उन्हें ड्यूटी मजिस्ट्रेट के बाद पेश किया। अदालत ने पांचों को चौदह दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। यह रशियन लड़की स्टूडेंट वीजा पर मास्को से भारत आई है। उसके साथ एक लड़की मध्यप्रदेश, एक दिल्ली, एक सिक्किम और एक अरुणाचल प्रदेश की लड़की है। यह लोग एक पीजी में रहती थीं।
इंटरनेट पर भी दिया था विज्ञापन
डीएलएफ फेज -दो थाना इंचार्ज कैलाश चंद्र के मुताबिक इस रैकेट का संचालन करने वाला मास्टर माइंड आर्यन है। आर्यन की गेस्ट हाउस के मालिक भूपेंद्र से अच्छी पटती थी। लड़कियों का इंतजाम आर्यन ही करता था। गेस्ट हाउस से फोन जाते ही जरूरत के मुताबिक लड़कियां उपलब्ध करा देता था।
विदेशी लड़कियों के लिए नौ से तीस हजार रुपए और भारतीय लड़की के लिए सात से बीस हजार रुपए वसूले जाते थे। कुछ मामलों में घंटे के हिसाब से भी दर तय की जाती थी। आर्यन ने इंटरनेट और समाचार पत्रों में बाकायदा विज्ञापन भी दे रखा था। यह भी पुलिस की नजर में था।
पहले भी पकड़ा गया मामला

राजेंद्र पार्क इलाके में अगस्त 2011 में भी पुलिस ने एक सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया था। एक एनजीओ की शिकायत पर हुई कार्रवाई में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए थे। एक दंपती के कब्जे से तीन लड़कियों को मुक्त कराया गया था।

कमसिन लड़कियां, कामोत्तेजक महफिल और...खेल खत्म


 

भोपाल। नॉलेज पैकेज के अंतर्गत आज हम आपको विश्व विख्यात मध्यकालीन भारतीय ठगों के खूनी खेल के आश्चर्यचकित करने वाले तरीके बारे में बताने जा रहे हैं। सोलहवीं शताब्दी से बीसवीं शताब्दी के शुरुआती समय तक इनका खूनी खेल चलता रहा। आपको थोड़ा आश्चर्य होगा कि कहने के लिए ठग और खेल खूनी? यह क्या है? इन्हें तो सीधे-सीधे खूनी कहा जाना चाहिए।

लेकिन नहीं, उन्हें इसीलिए ठग कहा जाता था, क्योंकि लोगों की हत्याएं करने से अधिक उनका तरीका मशहूर था, जिसे ठग की संज्ञा दी गई थी। उनका मायाजाल ऐसा होता कि बड़े-से-बड़े शूरवीर, पराक्रमी और योद्धा भी आसानी से उनके जाल में फंस जाते। उनकी सबसे खासियत यह थी कि वे हत्यारों की तरह सीधे किसी की हत्या नहीं करते, बल्कि इसके लिए पूरी प्लानिंग के साथ अच्छे समय का इंतजार करते।

इस तरह से करते थे शिकार
इन ठगों का पूरा जाल मध्यभारत में फैला हुआ था। यहां तक कि अंग्रेज भी इन ठगों के आगे नतमस्तक थे। विश्विख्यात ये खूनी ठग पहले किसी व्यक्ति यानि अपने शिकार से जान-पहचान करते और उन्हें मित्र बनाते। इसके बाद साथ में सफर करने लगते। उनकी प्लानिंग इतनी जबरदस्त होती कि अपने-आप को तीस्मार खां समझने वाला व्यक्ति भी उनके आगे बेवकूफ बन जाता।

कई लोगों का एकसाथ शिकार
वे एक साथ कई लोगों को अपना शिकार बनाते थे। वे अलग-अलग ग्रुप में बंटे होते और सभी की जिम्मेदारी पहले से ही तय रहती। पहला ग्रुप जब शिकार के साथ सफर की शुरुआत करता, तब बीच रास्ते में ठगों का दूसरा ग्रुप उनसे अजनबियों की तरह मिलता और मित्रवत व्यवहार करते हुए बहुत जल्द सबसे घुल-मिल जाता। शिकार भी अपनी काबिलियत समझता कि सब उनसे प्रभावित हो रहे हैं।

रात को होता था मुख्य काम
इसके बाद जब रात होती तो ठगों का मुखिया विश्राम करने का इशारा करता। इसके बाद सभी विश्राम करते। फिर उनमें से एक ग्रुप अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए शिकारों की संख्या के अनुसार कब्र खोदने चला जाता। काम पूरा होने पर वह इशारा करता। वहीं, बाकी के ठग आसानी से शिकार को जाल में फंसाए रखते। हंसी ठिठोली और बहादुरी के किस्से शुरू हो जाते थे।

कमसिन लड़कियों का नृत्य
इतना ही नहीं, यदि शिकार उस समय अधिक होशियारी दिखाने लगता, तो ठगों के दल में कमसिन लड़कियां भी रहती थीं, जो अपने कामोत्तेजक नृत्य से उनका शिकार करतीं। इसके बाद वे भी मदहोश होकर सबकुछ भूल जाते। बस, अब आता था अंतिम काम। यानि शिकार को ठिकाने लगाना।

..और पलभर में काम तमाम
ठगों का मुखिया इशारा करता, पान का रूमाल लाओ। दरअसल, यह उनका प्रमुख हथियार होता था। यह रूमाल ही होता, जिसके एक कोने पर धातु का सिक्का बंधा होता था। मुखिया के एक इशारे पर हर शिकार के पीछे रूमाल लेकर एक ठग खड़ा हो जाता और एक बड़ी आवाज के बाद पलभर में शिकार का गला घोंट दिया जाता।

अंतिम काम
आलम यह होता कि उन्हें सांस ले जाने की भी फुर्सत नहीं होती। इसके बाद दूसरे ठग लाशों को घसीटते हुए गड्ढ़ों तक ले जाता। इसके बाद शिकार के सिर और घुटनों को मिलाकर बांध देते थे। यदि इसके बावजूद काम नहीं बनता, तो घुटने के नीचे से पैर काट दिया जाता था। इतना ही नहीं, दल के अंतिम सदस्य द्वारा शिकार के पेट में चाकू से अंतिम वार किया जाता था, जिससे उनके जिंदा रहने की पूरी संभावना की खत्म हो जाए।

इसके बाद वे गड्ढों को भर देते थे और समतल बना देते थे। वे उनका सारी धन-दौलत लूट लेते थे। इस दरम्यान उन्होंने कई मासूमों की भी जान ली। ये चाहते तो एक झटके में ही किसी को भी लूट लेते, लेकिन अपने इसी अनोखे तरीके के कारण विश्व विख्यात हो गए।

दैनिकभास्कर.कॉम नॉलेज पैकेज के अंतर्गत अपने यूजर्स के लिए ऐसे ही कई किस्से ला रहा है, जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है। हम आपको बता दें कि इन ठगों की अपनी एक शब्दावली होती थी, जिसे समझना दूसरों के लिए नामुमकिन था। हम आपको आगे इस अनोखी शब्दावली के बारे में बताएंगे और साथ ही इन ठगों का अंत करने वाले बहादुर की भी रोचक कहानी बताएंगे।

भाभी के साथ रंगरेलियां मनाते देखने की सज़ा, घर से किया बेघर


जेठाना.नाहरपुरा गांव में अपने पति को भाभी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखना एक विवाहिता को उस समय भारी पड़ गया जब पति ने उसे उसके मासूम बच्चे के साथ घर से निकाल दिया। पीड़िता की मांगलियावास थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराकर इस्तगासा पेश किया है। पीड़िता मैना रावत पत्नी जयसिंह ने इस्तगासे में बताया कि 2004 में उसकी शादी नाहरपुरा निवासी जयसिंह पुत्र मेवासिंह के साथ हुई थी।

शादी के बाद उनके पुत्र हुआ। पीड़िता ने बताया कि आरोपी जयसिंह पूर्व में शादीशुदा था और अरबा निवासी काना से शादी कर चुका था जिसे उसने घर से निकाल दिया।

इसके बाद उसने दूसरा विवाह समरथपुरा निवासी मोहनी के साथ विवाह किया उसे भी छोड़ दिया। यह बात उससे छुपा ली गई थी। खुद को अविवाहित बताकर उसने तीसरी शादी पीड़िता से कर ली। पीड़िता ने बताया कि आरोपी जयसिंह के अपनी भाभी श्योरती से अवैध संबंध काफी लंबे समय से चल रहे थे।

बेटे को जान का खतरा
दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देखने पर जयसिंह, झमरी पत्नी मेवासिंह, रामसिंह पुत्र मेवासिंह श्योरती पत्नी रामसिंह ने मारपीट कर उसे और उसके मासूम बच्चे को घर से निकाल कर उसे पीहर से 1 लाख रुपए लाने की बात कही।

पीड़िता ने न्यायालय में पहुंच मांगलियावास थाने में पहुंच मांगलियावास थाने में मुकदमा दर्ज करा आरोपी पति सास जेठ जेठानी के खिलाफ कार्रवाई की गुहार की है। पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने वकील से नोटिस भिजवाकर उल्टा एक लाख रुपए घर से ले जाने का आरोप लगाने का प्रयास किया है।पीड़िता ने बताया कि उसका पांच वर्षीय पुत्र प्रीतम तबीजी पढ़ने जाता है, आरोपियों ने उसे भी जान से मारने की धमकी दी है।

दोस्तों से बेइज्जती का प्रयास
पीड़िता ने बताया कि 2010 में आयोजित तेजा मेले के दौरान जयसिंह ने अपने दोस्तों को शराब पिलाकर बेइज्जत करवाने का प्रयास किए जाने पर इज्जत बचाकर घर पहुंचने पर जयसिंह ने रातभर उससे मारपीट की। थाना प्रभारी रविन्द्र सिंह ने बताया कि इस्तगासा मिलने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

यहां श्मशान में जलती लाशों के बीच नाचती हैं बार बालायें!


किसी व्यक्ति की मौत होने पर वहां मातम का माहौल होता है। सगे-संबंधी और रिश्तेदार उसकी मौत पर आंसू बहाते हैं। पर आपने कभी किसी की मौत पर और उसकी जलती हुई लाश के बीच बार-बालाओं को नाचते हुए देखा या सुना है? यदि नहीं तो हम आपको बताते हैं। यूपी की धार्मिक नगरी वाराणसी में कुछ ऐसा ही होता है।

यहां बाबा महाश्मशान नाग मंदिर में एक तरफ लाशे जलती हैं और दूसरी तरफ लड़कियां नाचती हैं। इनका नाच देखने के लिए पूरा शहर उमड़ता है। क्या आम, क्या खास सब इस नाच के सुरूर में झूमते नजर आते हैं। पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी जिनके उपर व्यवस्था करने की जिम्मेदारी होती है, वो खुद ही इस नाच में शरीक होते है। यह शमां पूरी रात चलता है। जिसमें पूरा शहर जलता है।

यह सब कुछ होता है परंपरा के नाम पर। इसकी दुहाई देकर वो भी बच निकलते है, जिनके कंधों पर समाज सुधारने की जिम्मेदारी होती है। यहां का दृश्य देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। एक तरफ लाश जलाई जा रही है, दूसरी तरफ 'मुन्नी बदनाम हुई' और 'टिंकू जिया' जैसे गानों पर ठुमके लगते हैं।

स्थानीय रानू सिंह के मुताबिक, नवरात्र में यह कार्यक्रम होता है। पुरानी मान्यताओं के मुताबिक अकबर के मंत्री मानसिंह ने इस परंपरा की शुरूआत की थी। यहां स्थित शिव मंदिर में लोग मन्नत मांगते थे। इसे पूरा होने पर इस श्मशान के बीच घर की वधूयें नाचती थीं। चूंकि इस समय ऐसा होना संभव नहीं है, इसलिए लोग अपनी मन्नत पूरा करने के लिए कलकत्ता और मुंबई से बार बालायें बुलाते हैं।

कैसे बनी परंपरा
काशी के राजा मानसिंह ने इस पौराणिक घाट पर भूत भावन भगवान् शिव के मंदिर का निर्माण कराया। वह यहां संगीत का कार्यक्रम भी कार्यक्रम कराना चाहते थे। ऐसे स्थान जहां चिताए ज़लती हों वहां संगीत का कार्यक्रम करने की हिम्मत किसी में नहीं होती थी। इसलिए राजा ने तवायफें को इस आयोजान में शामिल किया। यही धीरे-धीरे परंपरा में बदल गई। लोग बाबा भूत भावन की आराधना नृत्य के माध्यम से करने से अगले जन्म को सुधारने लगे। इस तरह धर्म की इस नगरी में सेक्स वर्कर को नचा कर मोक्ष का ख्वाब पाला जाने लगा।